सियासी घमासान के बीच सर्व आदिवासी समाज ने दिखाई एकजुटता
अंबिकापुर @thetarget365 छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के सीतापुर में एक आदिवासी युवक संदीप लकड़ा की जघन्य हत्या से सियासी घमासान मचा हुआ है। मामले में सर्व आदिवासी समाज के बाद अब भाजपा-कांग्रेस भी आमने-सामने हैं। दोनों राजनीतिक दल अपने-अपने हितों के अनुसार बयानबाजी कर रहे हैं। लेकिन इस राजनीति के बीच पीड़ित परिवार अपने को खोने का गम भूल पाने की स्थिति में नहीं है।
संदीप लकड़ा हत्याकांड में भाजपा मजबूती से कह रही है कि पांच आरोपी पकड़े गए हैं। फरार अपराधी को भी पकड़ लिया जाएगा। आरोपियों को कठोर सजा (जिसमें आर्थिक चोट भी शामिल है) मिलेगी। जबकि कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय का मुद्दा बना रही है। इस मामले में पुलिस व प्रशासन भी कटघरे में नजर आती है। सर्व आदिवासी समाज के दबाव के बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी, गायब युवक की हत्या कर शव आरोपियों द्वारा अन्यत्र जगह ले जाकर दफन कर दिए जाने के बाद पुलिस ने शव बरामद कर लिया। लेकिन अब जब तक पूरे आरोपी पुलिस के पकड़ में न आ जाएं तब तक परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। मामले में भाजपा-कांग्रेस की राजनीति चमक गई है। भाजपा अभी सत्ता में है, इसलिए वह इस मामले को कानून और व्यवस्था का मुद्दा बताकर अपनी सरकार की कार्रवाई को सही ठहराने की कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस विपक्ष में है, इसलिए वह इस मामले को सामाजिक न्याय का मुद्दा बनाकर सरकार की आलोचना करने और अपने पारंपरिक वोट बैंक को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रही है। लेकिन दोनों ही दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए।
आदिवासी समाज ने अपने लोगों को दिया मजबूत संदेश
आदिवासी समाज ने यह फैसला किया है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक संदीप लकड़ा के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। यह एक मजबूत संदेश है कि आदिवासी समाज अपने साथ ऐसी घटनाओं के विरोध में लड़ाई से पीछे नहीं हटेगा। शव का अंतिम संस्कार न करने का फैसला एक प्रतीकात्मक कदम है, जो सरकार और प्रशासन को यह दिखाता है कि आदिवासी समाज अपने पीड़ित परिवार के लिए लड़ाई के हर स्तर के लिए तैयार है। इस फैसले से सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ा है। आदिवासी समाज की एकजुटता और संघर्ष की भावना को देखते हुए जल्द ही कोई कदम पुलिस व प्रशासन को उठाना पड़ सकता है।
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