★ तिब्बत की फसल अब लहलहाती है मैनपाट में
अंबिकापुर @thetarget365 छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर मैनपाट अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध कृषि परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां के किसान वर्षों से सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर टाऊ की खेती कर रहे हैं। लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट के अभाव में किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है। मैनपाट के तिब्बतियों ने इसकी खेती शुरू की थी। स्थानीय किसानों ने भी इस फसल की खेती शुरु की। आज इसका बड़ा रकबा है। मैनपाट के साथ साथ जशपुर जिले में भी टाऊ की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
टाऊ की खेती: मैनपाट की पहचान
मैनपाट का ठंडा और शीतोष्ण जलवायु टाऊ की खेती के लिए अनुकूल है। टाऊ का उपयोग मुख्य रूप से खाद्य पदार्थ, औषधि और सौंदर्य प्रसाधन उद्योगों में होता है। प्रोसेसिंग के बाद टाऊ से बने आटा का उपयोग बाजार में फलाहारी व्यंजन के रूप में किया जाता है। अब इससे विभिन्न तरह के कूकीज भी बनाए जा रहे हैं। मैनपाट के किसानों ने इस खेती में अपनी मेहनत और संसाधन झोंक दिए हैं, लेकिन उनके सामने कई समस्याएं हैं।
प्रोसेसिंग यूनिट का अभाव: बड़ी समस्या
मैनपाट में टाऊ की खेती तो बड़े पैमाने पर हो रही है, लेकिन यहां इसका प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने के कारण किसान अपनी उपज को कच्चे माल के रूप में कम दाम पर बेचने को मजबूर हैं। बाजार में प्रोसेस किए गए टाऊ उत्पाद की कीमत कच्चे माल की तुलना में कई गुना अधिक होती है।
उपज का सही मूल्य न मिलना
किसानों को अपनी उपज के बदले स्थानीय व्यापारी और बिचौलियों से बेहद कम कीमत मिलती है। यहाँ किसान अपनी पैदावार को 40 से 60 रुपये प्रति किलो बेचने मजबूर हैं। उनकी मेहनत और लागत का उचित दाम नहीं मिल पाता है।
सरकार की उदासीनता
मैनपाट के किसानों ने कई बार सरकार और संबंधित अधिकारियों से टाऊ प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की मांग की है। लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सरकारी योजनाओं और नीतियों की कमी से किसानों की समस्याएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर असर
टाऊ की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित न होने से न केवल किसानों का नुकसान नहीं हो रहा है, बल्कि मैनपाट की स्थानीय अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है। यदि यहां प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाए, तो इससे रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं और क्षेत्र का आर्थिक विकास हो सकता है। यही टाऊ की फसल प्रोसेसिंग होने के बाद 200 से 300 रुपये मूल्य पर प्रति किलो बाहर बाजार में बिकता है।
किसानों की मांग और सुझाव
★ प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना: किसानों ने मांग की है कि सरकार जल्द से जल्द मैनपाट में एक टाऊ प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करे।
★ उन्नत प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता: किसानों का कहना है कि उन्हें उन्नत खेती के तरीके और प्रोसेसिंग तकनीकों की जानकारी दी जानी चाहिए।
★ सीधे बाजार तक पहुंच: किसानों ने मांग की है कि उन्हें उनकी उपज सीधे बड़े बाजारों तक बेचने की सुविधा मिले, ताकि वे बिचौलियों पर निर्भर न रहें।
विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मैनपाट में टाऊ की खेती की अपार संभावनाएं हैं। यदि इस क्षेत्र में प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जाए, तो न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह क्षेत्र टाऊ उत्पादों का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।
सरकार की योजनाएं और उम्मीदें
हालांकि, राज्य सरकार ने मैनपाट को जैविक खेती और पर्यटन के लिए विकसित करने की योजना बनाई है, लेकिन टाऊ की प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना अभी भी लंबित है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्याओं को प्राथमिकता देगी और जल्द ही ठोस कदम उठाएगी।
समस्या का समाधान जरूरी
मैनपाट में टाऊ की खेती की मौजूदा स्थिति यह दर्शाती है कि कृषि विकास के लिए केवल खेती करना पर्याप्त नहीं है। प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और लॉजिस्टिक्स पर भी ध्यान देना जरूरी है। यदि समय रहते इस दिशा में काम नहीं किया गया, तो मैनपाट के किसानों की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।
मैनपाट में टाऊ की खेती की अपार संभावनाओं के बावजूद प्रोसेसिंग यूनिट की कमी ने किसानों को निराश कर रखा है। सरकार और संबंधित विभागों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यदि इस समस्या का समाधान किया गया, तो मैनपाट न केवल राज्य का बल्कि देश का एक प्रमुख कृषि केंद्र बन सकता है।