प्रतापपुर (thetarget365)। जनपद पंचायत प्रतापपुर की पंचायतों में हो रहे विकास कार्यों में भ्रष्टाचार व मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। अभी कुछ ही दिनों पूर्व गोविंदपुर पंचायत में तालाब गहरीकरण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार की जांच पूरी भी नहीं हो पाई थी कि अब फिर से एक और पंचायत में नाली निर्माण में हुए भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार जिला पंचायत सूरजपुर ने ग्राम पंचायत सिलौटा में आदर्श आदि ग्राम योजनांतर्गत चार लाख की लागत से शासकीय भूमि पर 205 मीटर लंबी नाली का निर्माण कराने की स्वीकृति प्रदान की थी। ग्रामीणों का आरोप है कि सिलौटा पंचायत के जिस स्थान पर 205 मीटर लंबी नाली का निर्माण होना था वहां पर सरपंच व सचिव ने नियमों को ताक पर रख अपनी मनमानी करते हुए केवल 140 मीटर तक ही नाली का निर्माण कराया। बाकी बचे 65 मीटर नाली के निर्माण को स्वयं का हित साधने के लिए एक खेत के बगल में मौजूद निजी भूमि पर करा दिया। इधर जनपद पंचायत कार्यालय में पदस्थ एक महिला तकनीकी सहायक ने भी सरपंच व सचिव से एक हाथ आगे निकलते हुए अपने अधिकार और पद का दुरूपयोग कर नाली निर्माण का मूल्यांकन भी कर दिया। जिस स्थान पर केवल 140 मीटर तक ही नाली का निर्माण हुआ है वहां पर तकनीकी सहायक ने मूल्यांकन के दस्तावेजों में 205 मीटर नाली का निर्माण होना दिखाकर नाली निर्माण को सही करार दे दिया। अब सरपंच व सचिव जनपद पंचायत कार्यालय में रोजाना आकर संबंधित विभाग के अधिकारियों पर नाली निर्माण के कार्य का सत्यापन करने का लगातार दबाव बना रहे हैं। ताकि सत्यापन होने के बाद पंचायत के खाते में नाली निर्माण के जो चार लाख रुपए आएंगे उनकी बंदरबांट कर सकें। पर अधिकारियों का कहना है कि वे इस तरह से किए गए नियम विरुद्ध निर्माण कार्य का सत्यापन किसी भी सूरत में नहीं करेंगे।
खुद के कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर कर दिया मूल्यांकन
बताया जा रहा है कि सिलौटा पंचायत नाली निर्माण का मूल्यांकन करने वाली महिला तकनीकी सहायक का नहीं बल्कि जनपद पंचायत प्रतापपुर के ही तकनीकी सहायक सत्येन्द्र केरकेट्टा का कार्यक्षेत्र है। फिर भी उक्त महिला तकनीकी सहायक ने नियमों को ताक पर रखते हुए अपने कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे क्षेत्र (सिलौटा) में हुए नाली निर्माण कार्य का मूल्यांकन कर दिया। बताया तो यह भी जा रहा है कि शासन ने उक्त महिला तकनीकी सहायक को केवल पंचायतों में होने वाले विद्युत संबंधी कार्यों का ही मूल्यांकन करने को पदस्थ कर रखा है। पर इनके द्वारा नियमों की परवाह न करते हुए निर्माण से संबंधित कार्यों का भी मूल्यांकन किया जाता है।