अंबिकापुर (thetarget365)। दुर्घटनाग्रस्त वाहन का बीमा दावा इंश्योरेंस कंपनी द्वारा निरस्त करने के मामले में पेश किए गए परिवाद पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अंबिकापुर, सरगुजा ने बीमा कंपनी को आदेश दिनांक से 45 दिनों के अंदर वाहन में हुई क्षति की क्षतिपूर्ति स्वरूप 21 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुति दिनांक 09 नवंबर 2023 से क्षतिपूर्ति के वास्तविक भुगतान तिथि तक 6 प्रतिशत प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी देय करना होगा। आदेश में यह भी उल्लेख है कि चूंकि परिवादी को एवार्ड की राशि पर ब्याज दिलाई जा रही है, इसलिए परिवादी को पृथक से मानसिक व्यथा की क्षतिपूर्ति हेतु ब्याज के अलावा अन्य कोई राशि स्वीकृत नहीं की गई है। परिवादी द्वारा परिवाद में किए गए व्यय का आंकलन पांच हजार रुपये करते हुए बीमा कंपनी को इसका भी भुगतान करने के लिए कहा गया है।
जानकारी के मुताबिक बलरामपुर जिला के ग्राम प्रेमनगर, थाना बसंतपुर, तहसील वाड्रफनगर निवासी रमन कुमार यादव पिता राम औतार यादव 30 वर्ष ने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवाद दायर करते हुए बताया था कि वाहन पंजीयन क्रमांक सीजी 04 एमबी 9970 का बीमा वह 23 अगस्त 2022 से 22 अगस्त 2023 तक के लिए मेगमा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा शाखा प्रबंधक अंबिकापुर से कराया था। बीमित वाहन उड़ीसा प्रदेश के कोयडा से आयरन लोड कर रायगढ़ आ रहा था। उक्त वाहन जमुडीही के पास पहुंचते ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया और लोड माल गिरकर बिखर गया, वाहन पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो गई थी। वाहन दुर्घटना में कोई जन हानि नहीं हुई थी। वाहन दुर्घटना की सूचना संबंधित पुलिस थाना में 11 मई 2023 को दी गई, साथ ही बीमा कंपनी को भी दुर्घटना की सूचना दी गई। वाहन का स्पॉट फोटो, सर्वेयर के माध्यम से बीमा कंपनी ने कराया था, इसके पश्चात परिवादी वाहन निकलवाकर मरम्मत के लिए टोचन कर अंबिकापुर लाया और सर्विस सेंटर में खड़ा कर मरम्मत हेतु इस्टीमेट लिया। 25 मई 2023 को दिए गए इस्टीमेट के अनुसार वाहन मरम्मत में कुल खर्च 29 लाख 38 हजार 894 रुपये होना था। इस्टीमेट की राशि अत्यधिक होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त वाहन को वह अपने निवास स्थान पर टोचन कर ले गया। इस वाहन को परिवादी 27 लाख रुपये में फाईनेंस कराया है, जिसकी मासिक ऋण किस्त 62 हजार 410 रुपये निर्धारित है। इसका भुगतान वह दुर्घटना दिनांक से पूर्व तक नियमित कर रहा था, परन्तु दुर्घटना के बाद आय का स्रोत बन्द होने के कारण वह वाहन की किस्त का भुगतान नहीं कर पाया। दुर्घटनाग्रस्त वाहन का क्लेम बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत करने पर कम्पनी ने बीमा दावा को यह कहकर निरस्त कर दिया कि वाहन के स्वरूप में छेड़छाड़ की गई है। परिवादी के बीमा दावा को निरस्त करने को सेवा में कमी बताते हुए बीमित राशि 21 लाख रुपये, मानसिक क्षति हेतु 50 हजार रुपये, न्यायालयीन खर्च हेतु 20 हजार रुपये रुपये, कुल 21 लाख 70 हजार रुपये दिलाने परिवाद प्रस्तुत किया गया था।
आयोग ने वाहन को पूर्ण नष्ट होने की परिधि में पाया
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष राकेश पाण्डेय, सदस्य नवनी कान्त दत्ता व अर्चना सिन्हा ने परिवादी के अधिवक्ता की ओर से पेश किए गए परिवाद पर अंतिम तर्क में उपस्थित बीमा कंपनी के शाखा प्रबंधक व इनके अधिवक्ता के तर्क को 15 अप्रैल 2024 को सुना और वाद प्रश्नों की रचना के बाद आदेश जारी किया कि हम परिवादी के वाहन में हुई क्षति की गणना के लिए वाहन को पूर्ण नष्ट (टोटल लॉस) होने की परिधि में पाते हैं तथा अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा परिवादी के वाहन में हुई क्षति की क्षतिपूर्ति स्वरूप 21 लाख रुपये आईडीव्ही मूल्य के बराबर क्षतिपूर्ति राशि दिया जाना उचित होगा। बीमा कंपनी को उक्त राशि आदेश दिनांक से 45 दिनों के अन्दर परिवादी को देना होगा, वहीं परिवाद प्रस्तुति दिनांक 09 नवम्बर 2023 से क्षतिपूर्ति के वास्तविक भुगतान तिथि तक 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी अदा करने कहा गया है। एवार्ड की राशि 45 दिनों में नहीं देने की स्थिति में संपूर्ण एवार्ड की राशि पर आठ प्रतिशत वार्षिक, साधारण ब्याज बीमा कंपनी परिवादी को अदा करेगी।