■ 40 वर्षों का सफर: संगठन ने मजदूरों, किसानों और कर्मचारियों के हित में किया ऐतिहासिक कार्य
अंबिकापुर@thetarget365 : ट्रेड यूनियन कौंसिल छत्तीसगढ श्रमिक दिवस पर अपने निर्धारित सम्मेलन को इस वर्ष मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के मुख्यालय में आयोजित करने जा रहा है।1981 में स्थापित इस संगठन ने अपनी 40 वर्ष पूर्ण कर लिया है। 1981 में इस संगठन का निर्माण वरिष्ठ अधिवक्ता डा जेपी श्रीवास्तव एवं उनके साथियों ने किया था। संगठन के वर्तमान प्रांताध्यक्ष डाक्टर जेपी श्रीवास्तव ने कहा है कि श्रमिको कृषकों और कमचारियों की आवाज को उठाने वाला उनका यह संगठन श्रमिक दिवस को इस दिशा में सतत आगे बढ़ने के लिए और संगठन में विचारों के नवीकरण के लिये चर्चा करता है जिससे यह संगठन समाज के तात्कालिक सरोकारों को उम्र पाता है। यह बातें उन्होंने होटल एवलान में प्रेस वार्ता के दौरान कही।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रांताध्यक्ष डा. श्रीवास्तव ने संगठन के इतिहास पर चर्चा करते हुए उन्होंने संगठन की प्रमुख किया कलाप और उपलब्धियों को विस्तार से बताया। उन्होने कहा कि नवंबर 2000 को ट्रेड यूनियन कौसिल ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों, मस्टर रोल कर्मचारियों के नियमितिकरण को लेकर छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री को ‘रोटी की पाती’ के नाम से एक मांगपत्र दिया था। इसके उपरांत से छत्तीसगढ़ में हजारो अनियमित एवं मस्टर रोल कर्मचारियों का नियमितिकरण हुआ। 11 सितंबर 2000 से 60 दिनो तक ट्रेड यूनियन कौंसिल ने सरगुजा अधिकार मोर्चा के साथ मिलकर सरगुजा को संभाग बनाने, राजस्व मंडल की स्थापना और सरगुजा में तकनिकी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये धरना दिया। आज संभाग मुख्यालय के रूप में सरगुजा जिला उत्तरी छत्तीसगढ़ का अहम प्रशासनिक केन्द्र है।अस्सी के दशक में संगठन निरंतर सरगुजा में रेल विस्तार की मुहीम के लिए संघर्षरत् रहा। विश्रामपुर से अंबिकापुर तक रेलमार्ग विस्तार के लिए विश्रामपुर रेलवे स्टेशन पर 21 दिन का आन्दोलन किया गया। इसमें ट्रेड यूनियन कौंसिल के आधार स्तंभ रहे स्व विजय नारायण सिंह, स्व एसएन तिवारी,जगदीश पाण्डेय, ब्रम्हाशंकर सिंह, विनय सिन्हा, श आरपी बडगोत्या की अहम भूमिका रही। रेल दो या जेल दो के अहम नारे के साथ यह आन्दोलन विख्यात रहा।
पांच मई 2008 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल को सरगुजा के पहाडी कोरबा जनजाति के 196 परिवार को वन भूमि अधिकार का पट्टा देने के लिए ज्ञापन दिया गया, जिसके परिणामस्वरुप इन परिवारों को सामूहिक रुप से वन अधिकार पट्ट्टा दिया गया।असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के संरक्षण एवं उनके हितलाभ के लिये वर्ष 2003 से संगठन द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप शासकीय स्तर पर उनके लिए अनेक योजनाएं बनी एवं पंजीयन हुए। कृषक, श्रमिकों, महिलाओं और कर्मचारी वर्ग के लिए संगठन निरंतर विधिक एवं स्वास्थ्य शिवरों का आयोजन करते रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नशे के विरुद्ध जागरुकता अभियान के साथ ही नशा मुक्ति अभियान चलाया जाता है।
संगठन आंगनबाडी, मितानिन, रसोईया, पंचायत सचिव एवं अन्य कर्मचारी संगठनो के हित में काम करते हुए उनके आन्दोलनो को प्रत्यक्ष और परोक्ष सहायता देती है।संगठन अपने जागरुकता अभियानो के माध्यम से स्वसहायता समूहों को रोजगार से जोड़ ने के लिए प्रयासरत है। प्रेस वार्ता में कौंसिल के संयोजक द्वितेंद्र मिश्रा, आशीष वर्मा, अनूप मेहता ,अनूप प्रताप सिंह टेकाम, रमा शर्मा, पूनम सिन्हा सहित अन्य उपस्थित रहे
मनेंद्रगढ़ में पहली बार होगा सम्मेलन
डॉ जेपी श्रीवास्तव ने बताया कि 48 वर्ष पुराना यह संगठन मई दिवस को सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल, मनेन्द्रगढ़ में अपना सम्मेलन करने जा रहा है। इसमें पूरे प्रदेश के करीब 25 से अधिक जिलों से प्रतिनिधि भाग लेंगे। सम्मेलन के प्रथम सत्र में 11:30 बजे से एक बजे तक प्रतिनिधियों के मध्य श्रमिकों की समस्याओं पर परिचर्चा होगी। एक बजे के बाद खुला सत्र आयोजित किया जाएगा।डाक्टर श्रीवास्तव ने सरकार को यह सुझाव दिया है कि मई दिवस को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के माध्यम से संगठित और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के साथ ही आंगनबाडी कर्मचारी, मितानिन और पंचायत कर्मियों का शासकीय व्यय पर बीमा करने की मांग का प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
11 को मिलेगा श्रम श्री अलंकरण
डाक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि सम्मेलन के दौरान 11 लोगों को श्रमश्री और एक वरिष्ठ नागरिक को वरिष्ठ नागरिक श्री सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मई दिवस 2026 का कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के दक्षिण में बस्तर में आयोजित करने की योजना है।