★ मधुमक्खी पालन के मुख्य कीट, रोगों की पहचान एवं प्रबंधन के बारे में दी गई विस्तृत जानकारी
अंबिकापुर। सरगुजा जिले में मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाएं को देखते हुए आर्या परियोजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, सरगुजा में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. राजेश चौकसे के मार्गदर्शन में एवं डॉ. अजय वर्मा, निदेशक विस्तार सेवाएं, इंगांकृविवि. रायपुर के मुख्य आथित्य में दो दिवसीय मधुमक्खी पालन विषय पर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम में सबसे पहले वरिष्ठ वैज्ञानिक द्वारा स्वागत उदबोधन में प्रशिक्षण के उद्देश्य के साथ ही केन्द्र द्वारा कृषक हितेषी योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में बताया गया। उदबोधन के अगले क्रम में राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केन्द्र, अंबिकापुर के अधिष्ठाता डॉ. एसके सिन्हा के द्वारा कृषकों को ज्यादा से ज्यादा मधुमक्खी पालन कार्य से जुड़ने का आह्वाहन किया गया। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा सतत मधुमक्खी पालन पर अनुसन्धान कार्य किया जा रहा है। जो कृषकों के लिए काफी लाभदायक है। कृषि महाविद्यालय, शंकरगढ़ के अधिष्ठाता, डॉ. जीपी पैकरा ने मधुमक्खी पालन में सावधानी बरतने वाली बिन्दुओं पर सबका ध्यान आकर्षण किया। कृषि महाविद्यालय, प्रतापपुर के अधिष्ठाता डॉ. पीएस राठिया ने कीटनाशक का प्रयोग कम से कम करने की सलाह दी। डॉ. केएल पैकरा, वरिष्ठ वैज्ञनिक द्वारा मधुमक्खियों के इतिहास, प्रजातियाँ उनका सरल पहचान के बारे में बताया। डॉ. सचिन जायसवाल, वैज्ञानिक द्वारा मधुमक्खी पालन के मुख्य कीट, रोगों की पहचान एवं प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई I आभार प्रदर्शन वैज्ञानिक पान्डु राम पैकरा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन, प्रशिक्षण प्रभारी सूर्य प्रकाश गुप्ता ने किया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र मैनपाट प्रभारी डॉ. संदीप शर्मा, कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया प्रभारी ई. कमलेश सिंह, वैज्ञानिक अरविन्द कुमार साय, डॉ. रितु रानी मिंज, वीरेंद्र कुमार, बिरेन्द्र तिग्गा एवं ओडगी विकास खंड से 10 कृषक एवं ग्राम पिपरखार विकास खंड से 40 कृषक उपस्थित थे I