@thetarget365 : भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद दरवाजे के पीछे बैठक हुई। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उस बैठक में पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों की ओर से कई कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। पहलगांव आतंकी हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत का आरोप है कि इस घटना का सीमा पार से संबंध है। हालाँकि, पाकिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है। एएनआई सूत्रों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में पाकिस्तान से पूछा गया कि क्या पहलगांव की घटना से लश्कर-ए-तैयबा का कोई संबंध है! पाकिस्तान को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए मुद्दे को सुलझाने की भी सलाह दी गई है।
दरअसल, लश्कर-ए-तैयबा एक पाकिस्तानी आतंकवादी समूह है। लश्कर के छद्म संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने शुरू में पहलगांव आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी। बाद में उन्होंने अपना बयान बदल दिया और एक बयान जारी किया। एक नए बयान में टीआरएफ ने कहा कि पहलगांव की घटना में उनका कोई हाथ नहीं है। इस बात पर भी सवाल उठे कि उन्होंने शुरू में तो जिम्मेदारी स्वीकार की, लेकिन बाद में इनकार कर दिया। इस माहौल में पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लश्कर को लेकर सवालों का सामना करना पड़ा। हालाँकि, पाकिस्तान शुरू से ही इस आतंकवादी हमले की निंदा करता रहा है और दावा करता रहा है कि उसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है।
एएनआई की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवादी हमले की निंदा की गई। सुरक्षा परिषद की बैठक में उपस्थित कुछ राजनयिकों ने भी आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों की हत्या के तरीके की निंदा की। बैठक में विभिन्न देशों के राजनयिकों ने भी चिंता व्यक्त की कि जिस तरह से पाकिस्तान में कुछ लोग परमाणु ऊर्जा और मिसाइल परीक्षण के बारे में बात कर रहे हैं, उससे तनाव और बढ़ सकता है। एएनआई सूत्रों का दावा है कि पाकिस्तान को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए स्थिति सुलझाने की सलाह दी गई है।
पाकिस्तान वर्तमान में सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों में से एक है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, पाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद से दोनों परमाणु संपन्न पड़ोसियों के बीच उत्पन्न स्थिति पर “बंद कमरे में चर्चा” का अनुरोध किया था। यह वार्ता पाकिस्तान के अनुरोध पर आयोजित की गई थी। सोमवार को बंद कमरे में यह चर्चा करीब डेढ़ घंटे तक चली। बैठक के बाद विभिन्न देशों के राजदूतों ने अलग-अलग अपनी राय व्यक्त की। हालाँकि, सुरक्षा परिषद द्वारा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।