Vivek Agnihotri : ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ जैसी विवादित फिल्मों के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। इस बार वजह है उनके एक इंटरव्यू के दौरान मराठी खान-पान पर की गई टिप्पणी, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर नाराज़गी जताई जा रही है। कई लोगों ने इसे मराठी अस्मिता और किसानों का अपमान बताया है।
दरअसल, विवेक अग्निहोत्री की पत्नी और अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने एक इंटरव्यू में बताया कि विवेक को महाराष्ट्र का पारंपरिक खाना पसंद नहीं है। उन्होंने बताया कि शादी के शुरुआती दिनों में जब उन्होंने विवेक को मराठी व्यंजन परोसे, तो विवेक ने प्रतिक्रिया दी, “क्या तुम गरीबों जैसा खाना खाती हो?”
इस बयान का वीडियो वायरल होने के बाद, इंटरनेट पर #VivekAgnnihotri ट्रेंड करने लगा। मराठी समाज से जुड़े नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने इसे महाराष्ट्र और किसानों के प्रति अपमानजनक करार दिया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर विवेक से माफी मांगने की मांग की।
विवेक अग्निहोत्री ने क्या दी सफाई?
विवाद बढ़ने के बाद विवेक अग्निहोत्री ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा: “मराठी खाने में नमक कम होता है। हर डिश में ऊपर से नमक या नींबू डालकर स्वाद बढ़ाना पड़ता है। मेरे लिए यह एक सांस्कृतिक झटका जैसा था। मैं उत्तर भारत का मसालेदार खाना खाकर बड़ा हुआ हूं, इसलिए शुरुआत में इसे समझना मुश्किल था।”
उन्होंने आगे कहा:”पल्लवी ने धीरे-धीरे उत्तर भारतीय खाना खाना सीख लिया, लेकिन अब मैं भी सादा और सेहतमंद खाना पसंद करता हूं। मैंने ‘गरीब किसानों का खाना’ मज़ाक में कहा था, ना कि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से।”
सोशल मीडिया पर नाराज़गी
विवेक के इस स्पष्टीकरण के बावजूद लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर यूज़र्स ने लिखा कि एक सार्वजनिक हस्ती को अपने शब्दों को लेकर संवेदनशील और ज़िम्मेदार होना चाहिए। कुछ यूज़र्स ने कहा कि “मराठी खाना सिर्फ पारंपरिक नहीं, बल्कि पोषण से भरपूर और विविधता से भरा हुआ होता है। इसे गरीबों के खाने से जोड़ना मानसिकता की संकीर्णता को दर्शाता है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आई सामने
शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी के नेताओं ने विवेक के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का अपमान है। वहीं, कुछ बीजेपी समर्थकों ने विवेक के बचाव में कहा कि यह बातचीत का एक हल्का-फुल्का हिस्सा था, जिसे तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। भले ही विवेक अग्निहोत्री ने अपने बयान को मजाक और सांस्कृतिक अंतर का नाम दिया हो, लेकिन इस घटना ने फिर यह सवाल खड़ा किया है कि लोकप्रिय हस्तियों को भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के प्रति कितनी जागरूकता होनी चाहिए। विवाद थमता नहीं दिख रहा है, और देखना होगा कि क्या विवेक अग्निहोत्री आगे कोई औपचारिक माफीनामा जारी करते हैं या नहीं।