★ पीड़ादायक मौत को गले लगा रहे लोग, अवसाद व क्षणिक आवेश मुख्य वजह
अंबिकापुर @thetarget365 वर्तमान में मानसिक बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। मरीज क्षणिक आवेश व अवसाद में पीड़ादायक मौत को गले लगा रहा हैं। छत्तीसगढ़ में प्रत्येक एक लाख की जनसंख्या में 26 मरीज आत्महत्या कर रहे हैं, इसमें 12 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है। अवसाद या डिप्रेशन सामान्यत: 15 से 45 वर्ष की उम्र में रहता है। प्रत्येक 20 में एक व्यक्ति अवसाद से पीड़ित रहता है।
बता दें कि एक सप्ताह में दो मरीज मरणासन्न स्थिति में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध जिला चिकित्सालय अंबिकापुर के आपातकालीन कक्ष में दोपहर बाद से रात में भर्ती हुए। इनका सफल ऑपरेशन नाक, कान, गला व निश्चेतना विभाग की संयुक्त टीम के द्वारा किया गया। पहले प्रकरण में लखनपुर निवासी 35 वर्षीय पुरुष मरीज ने नशे की हालत में स्वयं के गले को गंभीर रूप से जख्मी कर लिया। बड़ी बात यह है कि भर्ती के समय और आज तक मरीज का कोई साथी भी उसके साथ अस्पताल में मौजूद नहीं था। मरीज सांस नहीं ले पा रहा था। मरीज को स्थिति को गंभीरता से लेते हुए स्वजनों का इंतजार किए बिना चिकित्सकों की टीम ने आपात चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई, जिससे मरीज राहत महसूस कर रहा है। दूसरे केस में 20 वर्षीय महिला मनेन्द्रगढ़ जिला से रिफर होकर मरणासन्न स्थिति में आपातकालीन कक्ष में 8 अगस्त की रात में आई थी, जिसकी 9 महीने की बच्ची है। मरीज के स्वजन द्वारा अवसाद में होने की बात कही गई। उक्त मरीज ने धारदार हंसिये से अपने गले को कई बार स्वयं काटकर जख्मी कर लिया था, जिससे श्वांस की नली दो हिस्से में कट गई थी। आपातकालीन कक्ष से जानकारी प्राप्त होने के बाद त्वरित शल्य क्रिया करते हुए मरीज की जान बचाई गई। ऑपरेशन में नाक कान गला विभाग के डॉ. शैलेन्द्र गुप्ता, डॉ. उषा आर्मो, डॉ. राजेश, डॉ. प्रिन्सी, डॉ. प्रेरणा शामिल रहीं। निश्चेतना विभाग से विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मुर्ति के मार्गदर्शन में डॉ. पार्थ सारथी, डॉ. वसीम, डॉ. शायक ने कार्य किया।