★ सरगुजा के अलग-अलग थानों में 03 माह में 29 मामले दर्ज
अंबिकापुर (thetarget365)। सोशल साइट्स पर इन दिनों बच्चों के अश्लील फोटो/वीडियो अपलोड करने के मामले यानी चाइल्ड पोर्नोग्राफी (Child Pornography) के मामले सरगुजा जिले में तेजी से बढ़े हैं। महज 3 माह के अंदर ही जिले के अलग-अलग थानों में 29 एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी भी की गई है। जबकि 20 मामले अब भी पेंडिंग हैं। दिल्ली की एनसीआरबी की टीम के निर्देश पर सरगुजा पुलिस इसे प्राथमिकता मानकर कार्रवाई कर रही है। सरगुजा पुलिस अधीक्षक ने जनता से सोशल साइट्स के उपयोग में सावधानी बरतने की सलाह दी है।
आज के युग में सभी के हाथों में मोबाइल है और इंटरनेट के माध्यम से इसके उपयोग में बरती गई थोड़ी भी चूक आपके लिये बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। चाइल्ड पोर्नोग्राफी के दर्ज मामले ये बताते है कि सोशल साइट्स के उपयोग के साथ इसका जमकर दुरुपयोग भी किया जा रहा है, जिसमें बच्चों के गोपनीयता को भंग करने का षडयंत्र भी रचा जा रहा है। ऐसे में जरूरत है इसके संभल कर उपयोग करने की ताकि ये आसानी से उपलब्ध अविष्कार आपकी परेशानी न बढ़ा पाए।
आइटी अधिनियम की धारा 67 के तहत चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध घोषित किया गया है। इसके तहत पहली बार अपराध करने पर 05 साल का कारावास और 10 लाख रुपए का जुर्माना। इसके बाद भी अपराध करने पर 10 लाख रुपए के जुर्माने के साथ 07 वर्ष के कारावास का प्रावधान है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के सरगुजा जिले में दर्ज एफआईआर ये बताने के लिए काफी है कि मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग में लापरवाही बरतने से आपकी मुश्किल बढ़ सकती है। सोशल साइट्स के उपयोग के दौरान बच्चों की अश्लील तस्वीरें और उनके वीडियो अपलोड करना चाइल्ड पोर्नोग्राफी के संगीन धाराओं के तहत अपराध की श्रेणी में आता है, जिसकी निगरानी दिल्ली की एनसीबीआर के जरिये की जाती है सरगुजा जिले में पिछले 3 महीनों के भीतर ही चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 29 मामले दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। जबकि 20 से ज्यादा मामले अब भी जांच के दायरे में है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में एनसीबीआर की टीम इसकी निगरानी करने के साथ इससे जुड़े कंटेंट पुलिस हेडक्वाटर को उपलब्ध करा रही है, जिसमे मोबाइल से अपलोडेड वीडियो ज्यादा है। इसके आधार पर पुलिस इन मामलों में आईपीसी की अलग-अलग धाराओं के साथ ही आईटी एक्ट के तहत भी अपराध पंजीबद्ध कर रही है। आगे भी इस तरह के मामलों में कार्यवाही जारी रहेगी, इसलिए लोगों को सोशल साइट्स के उपयोग में सावधानी बरतने की सरगुजा पुलिस अपील करती है।
विजय अग्रवाल
पुलिस अधीक्षक
सरगुजा (छ.ग.)
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोक्सो अधिनियम) में भी बाल अश्लीलता के संबंध में दंड का प्रावधान है। पोक्सो अधिनियम की धारा 14 बच्चों के यौन अंगों का चित्रण, वास्तविक या नकली यौन गतिविधियों में बच्चे की भागीदारी और बच्चे के अभद्र या अनुचित चित्रण सहित किसी भी प्रकार के उपयोग को अपराध मानती है। एक बच्चे की सहमति दोनों कानूनों के तहत अप्रासंगिक है। कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे ट्रिपलाइन नियमित रूप से दुनिया भर में इस तरह के मामलों की निगरानी करते हैं। वे अपराधियों के आइपी पते को ट्रैक करते हैं और संबंधित देशों के गृह विभागों को भेजते हैं। फिर राज्य पुलिस को सूचना अग्रेषित की जाती है, जो इसे आगे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जिला स्तर के अधिकारियों को भेजता है।