मैनपाट महोत्सव में प्रस्तुति देने अंबिकापुर पहुंचे अल्ताफ रज़ा
अंबिकापुर। मैनपाट महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने शुक्रवार को अंबिकापुर पहुंचे बॉलीवुड के प्रसिद्ध गायक अल्ताफ रजा ने शहर के होटल सुबरन में ‘Thetarget365’ से विशेष बातचीत की।
‘तुम तो ठहरे परदेसी, साथ क्या निभाओगे…’ गाने को अपनी आवाज देकर देशभर में प्रसिद्धि हासिल करने वाले बालीवुड गायक अल्ताफ रजा तीन दशक बाद भी गायकी के क्षेत्र में उतने ही सक्रिय हैं। उनका मानना है कि गीत-संगीत की विधा में हर कलाकार का दौर आता है। इस समय का जिसने लाभ उठा लिया वह लंबे समय तक स्थापित हो जाता है। बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरी गायकी का अंदाज ही अलग था। मैंने शायरी को फ्यूजन की तरह प्रस्तुत किया, इसमें गजल व कव्वाली का समावेश था। यही कारण था कि उस दौर में मेेरे गीतों को प्रसिद्धि मिली।
अल्ताफ रजा ने कहा कि आज का दौर बिल्कुल बदला हुआ है। पहले के गीत कानों के लिए बनते थे जो सीधे दिल में उतर जाते थे। लोग इसे बरसों बरस याद रखते थे लेकिन आज वीडियो का जमाना है। लोग नजरों से देखते हैं और कुछ दिनों में भूल जाते हैं। इस क्षेत्र में उन्होंने अपने माता-पिता से काफी कुछ सीखा। चर्चा में बताया कि मां रानी रूपलता एवं पिता इब्राहिम खुद गायकी के क्षेत्र में स्थापित कलाकार थे। उनके प्रशिक्षण और आशीर्वाद से मैं आज इस स्थान पर पहुंचा हूं। आज उनकी उपस्थिति बालीवुड में कम होने की बात पर अल्ताफ रजा ने कहा कि वे इंटरनेट मीडिया में एक वीडियो चैनल संचालित कर रहे हैं। इसके अलावा वे विदेशों में लगातार कार्यक्रम दे रहे हैं। पिछले एक वर्ष के दौरान उन्होंने दो फिल्मों में भी गाना गाया है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि अल्ताफ रजा आज के इस दौर में गायब हो गया है।
मैनपाट महोत्सव में कार्यक्रम की प्रस्तुति देने पहली बार अंबिकापुर आए गायक अल्ताफ रजा ने कहा कि यहां के लोग बेहद मिलनसार एवं खुशमिजाज हैं। उन्होंने एक कलाकार को बेहद प्यार व सम्मान दिया। मेरा भी प्रयास रहेगा कि लोगों की उम्मीदों के अनुरूप कार्यक्रम में अपने गीतों की प्रस्तुति दूं ताकि सरगुजा के लोग मुझे कभी न भूल पाएं। अंबिकापुर शहर के लोग कैसे लगे इस सवाल पर अल्ताफ ने कहा कि शहर के लोगों से बेहद प्यार मिल रहा है।