प्रतापपुर (सूरजपुर)। कुछ सरपंच व सचिवों ने पंचायत के खातों को अपना निजी खाता समझ रखा है। यह लोग पंचायतों के विकास के लिए शासन द्वारा भेजी गई राशि का बिना कोई निर्माण कराए ही आहरण कर ले रहे हैं।
कुछ ऐसा ही आरोप सूरजपुर जिला अंतर्गत जनपद पंचायत प्रतापपुर की ग्राम पंचायत मझगवां के ग्रामीणों ने सरपंच सचिव पर लगाया है। इस संबंध में ग्रामीणों ने 26 अक्टूबर को कलेक्टर संजय अग्रवाल व जिला पंचायत सीईओ लीना कोसम के साथ ही 27 अक्टूबर को प्रतापपुर एसडीएम दीपिका नेताम को दिए ज्ञापन में लगाया है। ज्ञापन में बताया गया है कि जब से नवीन ग्राम पंचायत मझगवां का गठन हुआ है तब से लेकर आज तक पंचायत भवन का निर्माण करने के अलावा अन्य कोई भी विकास कार्य नहीं किया गया है। जब इस संबंध में गांव में होने वाली ग्रामसभा में ग्रामीण पंचायत के खाते में शासन द्वारा भेजी गई राशि की जानकारी मांगते हैं तो सरपंच सचिव द्वारा कहा जाता है कि कोरोना के समय से लेकर अभी तक शासन ने पंचायत के खाते में किसी भी विकास कार्य के लिए कोई राशि नहीं भेजी है। जबकि केंद्र सरकार की वेबसाइट ई ग्राम स्वराज में साफ दिखाई दे रहा है कि पंचायत के खाते में चौदहवें व पंद्रहवें वित्त के तहत गांव में विभिन्न प्रकार के विकास कार्य कराने के लिए लगातार पैसा भेजा जा रहा है। पर इन पैसों से सरपंच सचिव ने गांव में कोई भी विकास कार्य नहीं कराया है। विकास कार्य के नाम पर केवल कागजों में ही सड़क मरम्मत, नाली निर्माण, नहानी निर्माण, हैंडपंप मरम्मत व शौचालय निर्माण जैसे कार्य दिखाते हुए फर्जी बिल लगाकर पैसे की बंदरबांट कर ली गई है। जबकि सच्चाई यह है कि जमीनी स्तर पर इनमें से एक भी विकास कार्य गांव में नहीं हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचों की मांग पर भी सरपंच सचिव पंचायत में होने वाले आय व्यय का कोई लेखा-जोखा प्रस्तुत नहीं करते हैं।
ग्रामीणों ने सबूत के तौर पर ज्ञापन के साथ पंचायत के खाते से फर्जी तरीके से आहरित की गई राशि के कुछ प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं तथा शासन प्रशासन से गांव में हो रहे फर्जीवाड़े की किसी सक्षम अधिकारी से जांच कराने की मांग की है।
30 वर्षों से इसी गांव में पदस्थ है सचिव
ग्रामीणों ने ज्ञापन में आरोप लगाते हुए कहा है कि ग्राम मझगवां के सचिव जग बंधन राम स्थानीय निवासी हैं तथा वे इसी पंचायत में लगातार तीस वर्षों से पदस्थ रहकर कार्य कर रहे हैं। स्थानीय निवासी होने के कारण वे मनमाने तरीके से पंचायत की गतिविधियों का संचालन करते हैं और जब ग्रामीण इसका विरोध करते हैं तो वे ग्रामीणों के राशनकार्ड काटने के साथ ही प्रधानमंत्री आवास से वंचित करने की धमकी देते हैं।