गर्वित पल के साक्षी बने स्कूली बच्चे और विज्ञान के शिक्षक
अंबिकापुर। एक लंबे अरसे से इंतजार था। इस बार जीया बेकरार था साफ्ट लैंडिंग देखने के लिए। देश की 140 करोड़ की आबादी भारत के अंतरिक्ष मिशन के एक और सोपान के कामयाब होने की पिछले 42 दिनों से बेसब्री के साथ प्रतीक्षा कर रही थी।
छत्तीसगढ़ के सभी सरस्वती शिशु मंदिरों ने इसके लिए विशेष जन जागरण अभियान चला रखा था। स्कूल से घर लौट के बाद विज्ञान के शिक्षक और बच्चे ठीक शाम 5:30 बजे टीवी के सामने बैठ गए। डीडी नेशनल चालू किया। दिल थाम के बैठे रहे। हृदय की धड़कनें घड़ी की सुइयों के साथ बढ़ती रहीं। लग रहा था कि भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच चल रहा है। जीत होगी या नहीं के कशमकश के बीच भारत विजय बढ़ते हुए एक-एक रन बना रहा हो। शाम को 5:45 पर चांद पर लैंडिंग की शुरुआत की गई हृदय की धड़कन बढ़ती रही। मिशन के अभियान की सफलता के लिए प्रार्थनाओं का दौरा शुरू हो गया। ठीक शाम को 6:04 पर पूर्व सुनियोजित योजना के अनुसार चांद की सतह पर विक्रम लैंडर के साथ चंद्रयान-3 ने चांद की धरती को पहली बार छुआ। इस दृश्य को देखते ही साथ अपने घरों में टीवी पर यह घटना देख रहा है बच्चे खुशी के साथ उछल पड़े और मिठाइयां खिलाने का सिलसिला शुरू हो गया। 23 अगस्त की शाम विज्ञान और स्कूल के इन बच्चों को आजीवन याद रहेगी। जब भारतीय क्षितिज पर सूर्य अस्ताचलगामी हो रहा था। तब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सूर्य की पहली किरण पहुंचना शुरू हो रही था। इधर लैंडर विक्रम इसरो को मिले आदेश का पालन करते हुए चंद्रयान 3 को चंद्रमा की धरती पर उतरने के प्रयास में जुटा हुआ था। चंद्रमा से 384000 किलोमीटर दूर यहां धरती पर देश की 140 करोड़ की आबादी टकटकी लगाकर इस घटना का साक्षी बनना चाह रही थी। जो टीवी के सामने नहीं बैठे थे वह भी अपने कामकाज की व्यवस्था के बीच मिशन के कामयाब होने की दुआएं कर रहे थे।
देश की करोड़ों दुआओं के साथ सरस्वती शिशु मंदिरों में बाकायदा 23 अगस्त को सुंदरकांड का पाठ किया गया। धर्म की शक्ति ने आशीर्वाद दिया और भारत का यह महत्वाकांक्षी मिशन तमाम बढ़ाओ को पार करता हुआ अपने लक्ष्य में 100 फीसदी सफल साबित हुआ। यह मिशन हमारे देश के 140 करोड़ आबादी के लिए गर्व करने वाला इस रहा इसलिए रहा कि आज तक चांद के उसे हिस्से पर किसी भी देश ने अपने यह की लैंडिंग नहीं कराई है। कुछ दिन पहले ही रूस का लूना नमक चंद्रयान मिशन फेल हो गया था लिहाजा विज्ञान के शिक्षकों और छात्र-छात्राओं की चिंता बढ़ना स्वाभाविक थी। लेकिन जिस समझदारी और योजना के साथ इसरो ने इस महत्वाकांक्षी मिशन को अंजाम दिया वह काबिले तारीफ है। अब भारत दक्षिण ध्रुव के बेहद करीब के वातावरण का अध्ययन करेगा इस क्षेत्र को एक्सप्लोर किया जाएगा चांद पर तापी संचार कैसे होता है इसका अध्ययन स्कूली बच्चों को भविष्य में प्राप्त होगा पहली बार चांद पर भूकंप आने की घटना को पढ़ने के लिए संवेदनशील उपकरणों से मापा जाएगा चांद पर लेजर किरणों के माध्यम से उसके धुल कर और गैसों का अध्ययन भी किया जाएगा इस बात को जानकर विज्ञान के शिक्षक और स्कूली बच्चे अति उत्साहित हो रहे हैं।
अगले साल स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए- सरस्वती शिक्षा संस्थान ने सीबीएसई और स्कूली शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ से चंद्रयान 3 की सफलता की कहानी को अगले वर्ष विज्ञान की पुस्तकों में शामिल करने के लिए पत्र भेज दिया है। पी आर ओ संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि वह खुद इस मिशन की कहानी को सूत्रबद्ध करते हुए कहानी बनाने की कोशिश कर रहे हैं और यह कहानी तैयार हो जाने के बाद विशेष निवेदन के साथ सीबीएसई और छत्तीसगढ़ स्कूली शिक्षा विभाग को भेजा जाएगा। सरस्वती शिक्षा संस्थान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसरो को इस सफलता के लिए धन्यवाद पत्र भेज दिया है।