■ 1 महिला की मौत, दर्जनों ग्रामीण बीमार
अंबिकापुर। मौसमी बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील सूरजपुर जिले के बिहार पर क्षेत्र में मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है। इस क्षेत्र के कई गांव बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं सड़क पानी बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान ग्रामीण मौसमी बीमारियों से पीड़ित होने के बाद उपचार के लिए भी तरस रहे हैं। वर्षों से शासन – प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से सुविधा विस्तार की गुहार लगाते थक चुके ग्रामीणों का जीवन कष्टप्रद हो गया है। बिहारपुर क्षेत्र के दूरस्थ ग्राम लुल्ह में उल्टी दस्त से महिला की मौत हो गई है। कई ग्रामीण पीड़ित है। सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम शिविर लगाकर उपचार कर रही है। दो सप्ताह से मौसमी बिमारियों का प्रकोप झेल रहे लुल्ह में 50 वर्ष की महिला फुलकुवर चेरवा की मौत हो गई है इससे 10 दिन पहले भी एक महिला की मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने बताया कि मृतक को उल्टी दस्त था और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। दुर्गम व पहाडी क्षेत्र होने की वजह से स्वास्थ सुविधा नहीं मिल सकी। उसे अस्पताल तक नहीं लाया जा सका।इससे उसकी मौत हो गई। मौत की सूचना पर स्वास्थ विभाग की टीम गांव पहुंचकर शिविर लगाकर 42 ग्रामीणों का उपचार किया है। मितानित को दवा उपलब्ध करवा दिया है। स्वास्थ शिविर के प्रभारी डा बृजेश कुश्वाहा ने बताया कि गांव में मौसमी बीमारी से लोग पीड़ित है। इससे पहले भी गांव मे स्वास्थ शिविर लगाया गया था आज भी शिविर लगाकर स्वास्थ उपचार किया गया है अभी जिस महिला की मौत हुई है उसकी वजह हृदयाघात है। बिना पोस्टमार्टम मौत का कारण ह्रदयाघात बताकर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि लुल्ह गांव में दो सप्ताह से मौसमी बीमारी का प्रकोप है। अब तक दो महिलाओ की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि दोनों की मौत उल्टी दस्त से हुई है। कई ग्रामीण प्रभावित भी है जबकि स्वास्थ अमला का दावा कुछ और ही है फिलहाल अब तक हुई दो महिलाओ की मौत की वजह कुछ अलग बताने में लगी है इसके लिये स्वास्थ अमला ने पंचनामा तैयार कर ग्रामीणों के हस्ताक्षर भी कराए हैं।
पीने का शुद्ध पानी भी नहीं
लुल्ह गांव पहुंचविहीन है। न तो सडक है न ही आवश्यक मुलभूत सुविधा मिल रही है। यहां तक की कुआं, ढोडी का दूषित पानी पीने को मजबुर है। बीमार होने पर ग्रामीण जडी बूटी का सहारा लेते है। बहुत आवश्यक होने पर न तो यहां स्वास्थ अमला पहुंच नहीं पाता है। मरीज को 25 किलोमीटर दूर बिहारपुर स्वास्थ केन्द्र है।
2018 के विधानसभा चुनाव का किया था बहिष्कार
सड़क, स्वास्थ, शिक्षा, पेयजल सहित अन्य जरूरी मुलभूत आवश्यकता को लेकर गांव के ग्रामीणो ने 2018 के विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था। ग्रामीणों की मांग थी की सरकार यहां हमें मूलभूत सुविधा प्रदान करें इसके बाद भी इस गांव की न तो तकदीर बदली न ही तस्वीर। नेता, मंत्री, अधिकारी गांव पहुंचकर वादे तो करते है और उसे बहुत जल्दी भूल भी जाते है।
कागजों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
दुर्गम पहाड़ पर बसे एक दर्जन गांव सहित आसपास गांव के ग्रामीणों के बेहतर स्वास्थ सुविधा के लिये ग्रामीणों ने महुली उप स्वास्थ केन्द्र को प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र बनाये जाने की मांग की थी। जिस पर जिला प्रसाशन व स्वास्थ विभाग ने अमल करते हुये सर्वे कर कागजी कार्रवाई कर कागज स्वीकृति के लिए भेज दिया था,लेकिन अभी तक इसकी स्वीकृति नही मिल सकी है। अंदाजा लगाया जा सकता है अति गरीब आदिवासी पंडो जनजातियों के लोगो की समुचित बेहतर स्वास्थ्य के लिए नेता, मंत्री अधिकारी, सरकार कितनी गंभीर है..? स्वास्थ्य सुविधा की कमी के कारण इस क्षेत्र में असमय ही लोगों की जा जा रही है।