◆ सिंचित गांवों को असिंचित घोषित कर किसानों को किया जा रहा है नुकसान
अंबिकापुर @thetarget365 सरगुजा जिले के किसानों के साथ एक बार फिर नाइंसाफी का मामला सामने आया है। घुनघुट्टा परियोजना से सिंचित गांवों को इस बार अचानक “असिंचित” घोषित कर दिया गया, जिससे न केवल किसानों की कर्ज सीमा घट गई बल्कि वे फसल बीमा और अन्य सरकारी योजनाओं से भी वंचित हो सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को इस बार आवश्यक उर्वरक एनपीके 12:32:16 के स्थान पर कम प्रभावी और महंगा 20:20:0 खाद दिया जा रहा है, जिससे उनकी चिंता और नाराजगी बढ़ गई है।
कांग्रेस ने किसानों की इस परेशानी को लेकर गुरुवार को सुखरी सहकारी समिति का घेराव किया। पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजेश मलिक, ग्रामीण ब्लाक अध्यक्ष विनय शर्मा, नुरुल आमीन सिद्दिकी के नेतृत्व में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए। घेराव के दौरान समिति प्रबंधक ने बताया कि जिला स्तर से मिले निर्देश के आधार पर ही क्षेत्र को असिंचित घोषित किया गया है।
खाद की गुणवत्ता और कीमत पर भी सवाल
कांग्रेस नेता राकेश गुप्ता ने बताया कि सरकार द्वारा दिए जा रहे 20:20:0 उर्वरक की कीमत प्रति बोरी ₹250 बढ़ा दी गई है, और इसे प्रति एकड़ 70 किलो तक डालना पड़ता है। इसके अतिरिक्त पोटाश भी आवश्यक होता है, जिससे किसानों का खर्च बढ़ गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि एनपीके 12:32:16 की जगह 20:20:0 खाद का प्रयोग करने से उत्पादन पर 10 से 30 प्रतिशत तक असर पड़ सकता है।
कांग्रेस के दबाव और घेराव के बाद प्रशासन हरकत में आया और तत्काल एक ट्रक खाद समिति को भेजा गया। जिला विपणन कार्यालय के प्रतिनिधियों ने अगले 24 घंटे में दो ट्रक 20:20:0 और एक ट्रक एनपीके 12:32:16 खाद भेजने का आश्वासन दिया है।
टीएस सिंहदेव ने जताई चिंता, सरकार को घेरा
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे किसानों के साथ खुला छल करार दिया है। उन्होंने कहा कि सिंचित क्षेत्रों को असिंचित घोषित करना और किसानों को आवश्यक खाद न मिलना, सरकार की उदासीनता और असंवेदनशीलता का प्रमाण है। सिंहदेव ने कहा, “एनपीके 12:32:16 खाद खुले बाजार में उपलब्ध है लेकिन सरकार सहकारी समितियों में उसे नहीं दे पा रही है। इससे खाद की कालाबाजारी बढ़ेगी और गरीब किसान आर्थिक संकट में आ जाएंगे।”
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की, ताकि खरीफ सीजन की शुरुआत में ही किसानों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा सकें।
इस दौरान शैलेन्द्र सोनी, आशीष वर्मा, नीतीश चौरसिया, फैसल सिद्दीकी, सुरेंद्र गुप्ता, लोलर सिंह सहित अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता व ग्रामीण उपस्थित रहे। यह मामला सिर्फ एक समिति का नहीं, पूरे सिस्टम की लापरवाही का प्रतीक बनता जा रहा है। यदि प्रशासन और सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाए, तो आगामी समय में सरगुजा के किसानों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।