World Cup Final 2011: भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 2011 का विश्व कप एक सुनहरा अध्याय है, जिसे कोई नहीं भूल सकता। लेकिन क्या आपको पता है कि फाइनल में धोनी का चौथे नंबर पर आना एक सिर्फ़ कप्तानी निर्णय नहीं, बल्कि सचिन तेंदुलकर की सुझाई हुई चाल थी? हाल ही में एक फैन के सवाल पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने इस रहस्य से पर्दा उठाया। उन्होंने खुलासा किया कि विश्व कप 2011 फाइनल में धोनी का बल्लेबाज़ी क्रम में ऊपर आना एक रणनीतिक निर्णय था, जो सिर्फ़ मैच की स्थिति ही नहीं, बल्कि विरोधी गेंदबाजों के खिलाफ़ खास अनुभव पर आधारित था।
सचिन की रणनीति: मुरलीधरन का अनुभव बना ‘मैच विनिंग फैक्टर’
फाइनल मुकाबले में भारत को जीत के लिए 275 रनों की जरूरत थी। जब भारत का स्कोर 114/3 था, तब उम्मीद थी कि युवराज सिंह बल्लेबाजी के लिए आएंगे, जैसा कि पूरे टूर्नामेंट में होता रहा था। लेकिन उस पल धोनी खुद मैदान में उतरे। इस बदलाव ने सभी को चौंका दिया था।
सचिन ने बताया “दो कारण थे। पहला, दाएं-बाएं हाथ का संयोजन श्रीलंका के स्पिनरों को परेशान कर सकता था। दूसरा, मुरलीधरन तीन साल तक चेन्नई सुपर किंग्स में धोनी के साथ खेल चुके थे, और एमएस ने उन्हें नेट्स पर बखूबी समझा था।” धोनी ने इस रणनीति को सही साबित किया और 79 गेंदों पर 91 रनों की नाबाद पारी खेली। उनका फिनिशिंग शॉट—एक जोरदार छक्का—भारतीय क्रिकेट इतिहास में अमर हो गया।
युवराज, गंभीर और धोनी: जीत की त्रिमूर्ति
जहां गौतम गंभीर ने 97 रनों की जुझारू पारी खेली, वहीं युवराज सिंह, जो पूरे टूर्नामेंट में ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ रहे, उन्होंने भी फाइनल में अंत तक अपनी भूमिका निभाई। लेकिन रणनीतिक बदलाव से धोनी को जिस तरह से स्पिनरों को हैंडल करने का मौका मिला, वही अंतर साबित हुआ।
भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित: सचिन
सचिन ने उसी इंटरैक्शन में भारतीय क्रिकेट के भविष्य को लेकर भी आश्वस्त किया। उन्होंने कहा,”भारतीय क्रिकेट सुरक्षित हाथों में है। इंग्लैंड दौरे में कई युवाओं ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, और वे रोहित-विराट की परंपरा को आगे बढ़ा सकते हैं।”
जो रूट पर सचिन की भविष्यवाणी
जो रूट के 13,000 टेस्ट रन पूरे करने पर सचिन ने बधाई दी और एक खास किस्सा भी साझा किया।”मैंने 2012 में उनके डेब्यू टेस्ट में ही अपने साथियों से कहा था कि यह लड़का एक दिन इंग्लैंड का कप्तान बनेगा। मुझे तभी पता चल गया था कि वह महान खिलाड़ी बनेगा।”
2011 विश्व कप जीत महज़ एक संयोग नहीं, बल्कि खिलाड़ियों के अनुभव और सटीक रणनीति का परिणाम थी। सचिन तेंदुलकर के सुझाए धोनी के बल्लेबाजी क्रम में बदलाव ने मैच की दिशा मोड़ दी। यह बताता है कि क्रिकेट सिर्फ़ मैदान पर नहीं, दिमाग और अनुभव से भी जीता जाता है।
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