Income Tax Bill 2025 : केंद्र सरकार ने आखिरी वक्त पर बड़ा फैसला लेते हुए बहुप्रतीक्षित ‘आयकर विधेयक 2025’ को लोकसभा से वापस ले लिया। पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेने के लिए तैयार किए गए इस विधेयक को सरल, स्पष्ट और आधुनिक कर व्यवस्था के उद्देश्य से पेश किया गया था। लेकिन, विपक्ष की कड़ी आपत्तियों और तकनीकी संशोधनों की जरूरत के कारण इसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
विपक्ष ने विधेयक को बताया “और भी जटिल”
इस विधेयक को फरवरी 2025 में संसद में पेश किया गया था। तभी से विपक्ष ने इसके कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और आरएसपी के एनके प्रेमचंदन ने इस विधेयक को पुराने कानून से ज्यादा जटिल और तकनीकी करार दिया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने इसे “यांत्रिक और अव्यवहारिक” बताया।
विवाद बढ़ने पर इसे प्रवर समिति को भेजा गया था। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने विधेयक में कई अहम बदलाव सुझाए हैं, जिसके बाद इसे 11 अगस्त को संशोधित रूप में फिर से लोकसभा में पेश किया जाएगा।
जानिए क्यों खास है नया आयकर विधेयक?
आयकर अधिनियम 2025 का उद्देश्य करदाताओं के लिए कानून को समझने योग्य, पारदर्शी और डिजिटल युग के अनुकूल बनाना है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि:
टैक्स स्लैब या ITR फाइलिंग समय-सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
नया विधेयक भाषा की सरलता, अनावश्यक प्रावधानों की समाप्ति और कानूनी व्याख्या में सुविधा पर केंद्रित है।
प्रस्तावित बदलावों की प्रमुख बातें:
‘आकलन वर्ष’ व ‘पूर्व वर्ष’ की जगह अब ‘कर वर्ष’ की अवधारणा लाई जा रही है।
वित्तीय वर्ष में कोई बदलाव नहीं – यह 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रहेगा।
धाराओं की संख्या घटाई जा रही है – 536 की जगह अब 298 धाराएँ होंगी।
TDS से संबंधित सभी प्रावधानों को एक ही खंड में समाहित किया जाएगा।
निवास कानून में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
ITR दाखिल करने की प्रक्रिया और समय सीमा यथावत रहेगी।
पुराना अधिनियम 600 से अधिक पन्नों का था, नया ड्राफ्ट सरल और संक्षिप्त होगा।
कब से लागू होगा नया कानून?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, संशोधित ‘आयकर अधिनियम 2025’ को लागू करने की संभावित तिथि 1 अप्रैल 2026 है। इससे पहले संसद की मंजूरी और अधिसूचना जारी की जाएगी। सरकार ने करदाताओं की सुविधा के लिए कानून को सरल बनाने का प्रयास किया है, लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के चलते फिलहाल विधेयक को वापस लेना पड़ा। अब यह देखना अहम होगा कि 11 अगस्त को आने वाले संशोधित मसौदे पर संसद में सहमति बनती है या नहीं।